गाँव
गाँव
कुछ कच्चे कुछ पक्के मकान
कुछ कच्ची कुछ पक्की दुकान
घूँघट की आड़ में काम करती नारियाँ
चौपाल पर हुक्का पीते गूगल बाबा
हर घर की खोज-खबर रखते वहाँ बैठ
किसकी बहन बेटी का ब्याह
किसी की ऊँच नीच की बात
सबका सुख दुख साँझा
आज भी मिलता गाँव में ।
न कोई भीड़ न कोई दौड़
न किसी को पीछे करने की हौड़
सादा जीवन उच्च विचार
आज भी गाँवों के जीवन आधार
प्रेम यहाँ पर पलता
प्रभु आस्था का रस्ता
अंधविश्वास भी मिल जाते
पर जीवन फिर भी चल जाता
आज भी मिलता गाँव में ।
बड़े - बूढ़ों का अर्जित ज्ञान
सबको दिलाता है सम्मान
छोटी छोटी नौंक- झौंक
छुप-छुप कर मिलना- मिलाना
पता लगने पर दंगा फसाद
आज भी मिलता गाँव में ।
बदलाव जरूर आया है
परिवर्तन का युग है....
बस ,गाड़ी ,बिजली, पानी ,
स्कूल, हस्पताल ,कृषि के साधन
अब सब पहुँचा गाँव में,
अगर जीना हो असली जीवन
तो आज भी मिलेगा गाँव में।
