गाँव की बरसात
गाँव की बरसात
याद आ रही है मुझे गाँव की बरसात।
सबकुछ लगता है जैसे कल की हो बात।
याद आ रही है मुझे गाँव की बरसात।
ऐसी बरसातों में अक्सर तालों में होते।
कुद के नदियों में भैंसो को धोते।
त्योहार ही लगता जब झमझमाती बरसात।
सबकुछ लगता है जैसे कल की हो बात।!!!
ऊसर में खेलते कौड़िया मिसान।
कुस्तियाँ भी लड़ते हम बच्चे पहलवान।
देखके खुशियों को समय भागा छोड़के साथ।
सबकुछ लगता है जैसे कल की हो बात।!!!
शामों को मड़ई में कौड़ा जलाते ।
ठंडी को सारी पल भर में भगाते।
क्या अब भी ऐसा होगा, जब होती होगी रात।
सबकुछ लगता है जैसे कल की हो बात।!!!
याद आ रही है मुझे गाँव की बरसात।!!!
याद आ रही है मुझे गाँव की बरसात।!!!