पंखों को खोलकर मैं उड़ जाऊँ, ऊँची से ऊंची ऊँचाई भर जाऊँ। पंखों को खोलकर मैं उड़ जाऊँ, ऊँची से ऊंची ऊँचाई भर जाऊँ।
खिचड़ी के चार यार दही , पापङ, घी, आचार। खिचड़ी के चार यार दही , पापङ, घी, आचार।
आओ हम सब एक जुट हो जाए देश को फिर से राम जी के पास लाए। आओ हम सब एक जुट हो जाए देश को फिर से राम जी के पास लाए।