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नविता यादव

Others

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नविता यादव

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एक पिता

एक पिता

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विनोद भाव , चंचल चितवन

नील अंबर, भावुक मन

विशाल ह्रदय , चट्टान छवि,

एक इंसान रूप कई।


जीवन संजोने, राह पथरीली

भागे - दौड़े ,पसीने से भीगे वस्त्र

स्वयं को दूर रख, सब को पास रख

उसमें ही ढूंढ़े अपनी खुशी।


उग सूरज संग चले सुबह - सुबह

शाम ढले घर वापिस लौटे,

टांग एक तरफ़ अपने बैग को

कपड़ो को थोड़ा हवा लगा ,

कुछ देर सुस्ता विश्राम किया

ले प्याली हाथ भर चाय की

घर की अदालत का सामना किया।।


कभी मुस्कुरा ,कभी तकरार कर

कभी प्यार कभी गुस्सा कर,

सबको सब कुछ समझा दिया

फिर भविष्य के गर्भ में झांक कर,

अपने आप को अगली चुनौतियों के लिए तैयार किया।



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