एक क़दम
एक क़दम
कुछ पल बैठ,एक पल सोचा,
फिर सोचा ,फिर बैठ गया,,
एक सपना है ,जो साकार करना है
यही सोच फिर बढ़ गया।
पथरीले पथ पर चल पड़ा,
विश्वास अपने अंदर था बड़ा
थोड़ा - थोड़ा कर हासिल करता रहा
कभी कभी नाकामयाबी का दामन भी ओढ़ना पड़ा।।
उदास हुआ, पर ना उम्मीद न हुआ,
एक "आग" को अपने अंदर जलाए रखा
बारिश ,तूफ़ान भी आए गए
पर अंगारों को बुझने न दिया
थोड़ा- थोड़ा कर आगे बढ़ता गया।
इरादे मेरे नेक हैं
धीरे - धीरे कदमों को बढ़ाया है
दूर मंज़िल को दिमाग़ में रख,
राहे मंजिल पर अधिकार जमाया है,
अभी तो उड़ना शुरू किया है,
अभी तो उड़ना शुरू किया है।
