एक अलग अहसास....
एक अलग अहसास....
ये गर्मियों के दिन भी बड़े गजब की है,
कभी तक़लिब मे भी लोग मजा उठाते है,
तरहा तरहा की खाने पिने का मजा भी लुटाते है,
पर ये गर्मी को खूब कोसते रहेते है,
कोई अपने को धुप से बचाता रहेता है,
कोई धूप में एक साए को ढूंढता है,
कोई धूप में ठंडाई का मज्जा लेता है,
कोई सूबे सूबे ठंडा लस्सी भी ले लेता है,
कोई फलों की रस से अपनी प्यास बुझाता है,
सब इस गर्मी से होते है परेशान,
पर ये एक अलग अहसास का है पहचान...........
गर्मीओं की छूटी बच्चों को अच्छा लगता है,
कियुं की थोड़ा दोस्तों के साथ ज्यादा समय मिलता है,
और स्कुल की पढ़ाई से भी छुटकारा मिलता है,
फिर घरमे मस्ती का मौका कौन खो देता है ?
घर बैठे आइसक्रीम जो खाने को मिल जाता है,
बच्चों के साथ बूढ़े भी बच्चे बन जाते है,
घंटोभार पानी मे नहाने का बहाना मिल जाता है,
गर्मी से बचने खिड़की बन्द करना पड़ता है,
और ए.सी या कूलर की ठंडी हवा जो मिलता है,
मजा ही मजा तो घर बैठे मिलता है,
ये तो खुदको समझाने का होते है बोल बचन,
पर ये एक अलग अहसास का है पहेचान......
दप्तारों मे भी एक अलग सा माहौल होता है,
बाते ज्यादा काम कम जो होता है,
कभी कभी जो ठंडाई की पार्टी भी होता है,
नहीं तो ठंडी ठंडी पानी मे प्यास बुझा लेते है,
पसीने से जब आलसिपान आजाता है,
मेज पे शर रख के शोने की मजा अलग होता है,
उस मजे का फिर दूसरे मज़ाक उड़ाते है,
फिर भी वो सब कुछ फरक नहीं पड़ता है,
जब बाजार मे सब्जियों की भाव बढ़ जाता है,
और अच्छी सब्जी नहीं मिलता है,
तब दिल में लगता है इस दर्द का चूमन,
पर ये एक अलग अहसास का है पहचान।