ए नदान ज़िन्दगी
ए नदान ज़िन्दगी
बहुत हताश हो गया हूँ, कुछ भी समझ न आए,
ए नदान ज़िन्दगी, तुझको रहम न आए।
तेरा काफ़िला ऐसा, हर शख्स इसमें शामिल,
मर्ज़ी तेरी ही चलती, बिन मर्ज़ी सब है शामिल,
कितनों को तू रुलाती, कितनो को तू हँसाए
मकसद तेरा कभी भी, हमको समझ न आए।
अपनों के संग रहना, बस खुशियाँ देते रहना,
इतनी सी चाह मेरी, दरकार पूरे करना,
यही चाह मेरी है गर, तुझको समझ जो आए,
मुझको कसम ख़ुदा की, तुझको भी रोना आए।
हर कोई है मुसाफिर, दिन रात चलता रहता,
कुछ राह पा गए हैं, बाकी है ख़्वाब मिलना,
हर पल कड़ी परीक्षा, लेने को बैठ जाए,
मर्ज़ी तेरी नहीं है, तो हल निकल न पाए।
कहते मिले हैं मुझको, तंग राह ज़िन्दगी है,
हँसते हुए है रोना, अभिशाप ज़िन्दगी है,
कैसे उन्हें बताऊं, इसी का नाम ज़िन्दगी है,
गर पास से जो गुज़रे, एहसास तुझको आए।
