ए जिंदगी
ए जिंदगी
ए जिंदगी कुछ कहा मैंने ,
पर तुमने शायद सुना नहीं ।
तुम छीन सकती हो मुझसे मेरी बचपन,
पर मेरी बचपना नहीं।
तुम छीन सकती हो मुझसे मेरी खुशियां,
पर मेरा हौसला नहीं।
तुम छीन सकती हो मुझसे मेरी आजादी,
पर मेरी उड़ान नहीं ।
तुम छीन सकती हो मुझसे मेरे सपने,
पर मेरा हौसला नहीं।
तुम छीन सकती हो मुझे मेरे सारे हक ,
पर मेरा प्यार नहीं।
ए जिंदगी कुछ कहा मैंने ,
पर तुमने शायद सुना नहीं ।
अब बिन रुके मैं चलना चाहती हूं ,
जो झरने जैसे थी मैं बंद कली वह अब खिलना चाहती हूं।
ए जिंदगी कुछ कहा मैंने,
तुमने शायद सुना नहीं।