दस्तक
दस्तक
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ये कैसी है कशमकश
क्यों डूब रहा मन
किसकी है ये आहट जाने
वक्त बदल रहा कौन सी करवट
खुशियों के आंगन मे क्यों
चुपके से ग़म दे रहा दस्तक
क्या करें कुछ नहीं रहा समझ
पल पल दिल रहा डर।