दर्द
दर्द
मेरे दर्द की चिंगारियों की लपटें
उस के आँगन तक पहुँच ही जाएँगी
क्योंकि ये एक माँ का दर्द ही नहीं
उसके बच्चों का भी दर्द है ।
उसके टूटे हुए घर की रूह का दर्द है ।
उसके और उसके बच्चों के सपनों
के टूटने का दर्द है ।
उसके घर में स्थापित ईश्वर के
अपमान का दर्द है ।
घर के कोनों में पड़े बच्चों के
खिलौनों का दर्द है ।
बालकोनी में मुरझाए हुए
फूलों का दर्द है ।
गालियाँ सुन, पर्दे के पीछे छिप
आँसू पोंछने का दर्द है ।
प्याज काटने के बहाने नीर
बहाने का दर्द है ।
उस की कमीज़ में पड़ी हुई
सलवटों का दर्द है ।
प्यार के विश्वास का खून करने का दर्द है ।
पत्नी का पति पर से भरोसा
उठ जाने का दर्द है ।
उसे जो दिखा नहीं उस
समर्पण का दर्द है ।
अपने घर का अपनापन छिन
जाने का दर्द है ।
मेरा कहने का हक लूट जाने का दर्द है ।
बरसों की तपस्या भंग हो जाने का दर्द है ।
प्यार की गागर टूट जाने का दर्द है ।
चारों ओर ज़मी पर बिखरी हँसी का दर्द है।
उसके लिए अपने अस्तित्व को
मिटाने का दर्द है ।
प्यार को समझौता बता छोड़ जाने का दर्द है ।
अपनत्व में उस के रंग में रंग जाने का दर्द है ।
मधुरतम रस से बनाई रसोई
छूट जाने का दर्द है ।
एक साथ ताजमहल और मंदिर
टूट जाने का दर्द है ।
जिंदा लोगों को मृत बनाने का दर्द है ।
अपनी ही सुताओं को बीच राह में
छोड़ने का दर्द है ।
ये वो दर्द है जिसे देख दर्द भी
अश्रु बहाने लगे ।
पर दर्द देने वाले बेदर्द है
क्योंकि हमदर्द ही दर्द है ।