दर्द या दवा
दर्द या दवा
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प्यार में दर्द तो तय है
ये रास्ता है काँटों से भरा
जो भी इस रस्ते पर चला
ये सिला उसे सहना पड़ा
दिल -ए-नादान इतना ग़मगीन न हो
प्यार से ज़रुरी कई काम हैं
प्यार पर जिंदगी खत्म होती नहीं
विरह को सहना सीखो सहजता से
दर्द ही दवा बन जाता है
जिसे परवाह नहीं हो हमारी
उसके लिए यूं जिंदगी से नज़रें चुराना नहीं
प्यार ही सब कुछ नहीं जिंदगी में
दर्द है तो दवा भी है कभी।