दर्द से उबरना चाहती हूं
दर्द से उबरना चाहती हूं
1 min
293
अपने आप को खो चुकी हूं अब,
न कोई ख्वाहिश है न हमदर्द है अब,
किसी और के लिये खुद को खो दिया मैने,
दूसरों को खुश करते करते खुद को ही दर्द से भर दिया मैंने,
न जाने मैं खुद को बदल क्यों नहीं पाती,
न जाने दुनिया की इस भीड़ में मुझे खुशी मिल क्यों नहीं पाती,
मै भी खुश होना चाहती हूं,
मै भी अकेले घूमना चाहती हूं,
मै भी खुद को सवारना चाहती हूं,
अब इस दर्द से मैं उबरना चाहती हूं,
दूर किसी नदी के किनारे बैठना चाहती हूं,
न मैं भी अब दर्द से उबरना चाहती हूं।