दर्द में भी मुस्कुराते हैं
दर्द में भी मुस्कुराते हैं
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छलक के पीर जब आंखों तक आते हैं।
खुशी नहीं तो दर्द में भी मुस्कराते हैं।
मेरे संग चले मुसीबतों के काफिले,
पग-पग पर मेरे हौसले आजमाते हैं।
वो तो कहता है कि दिल तेरा पत्थर है,
सोचती हूं क्यों मोम से पिघल जाते हैं।
इश्क़ कर के भी देखना जरूरी था,
सच है, आग की दरिया में डूब जाते हैं।
दो दिन की जिन्दगी में उलझने हजारों,
आओ कुछ पल संग बंदगी में बिताते हैं।