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दोस्ती

दोस्ती

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लाख दोस्त ना चाहूँ मैं

ना चाहूँ हीरे मोतियों का हार

एक बस यारी हो

कान्हा सुदामा जैसी।


और हो जाऊँ

मैं धनवान,

क्या रिश्ते चाहे कोई

जब हो कोई एक खास।


संकट का जब समय आए

एक मित्र ही आए जब काम,

स्वार्थ ना हो कोई मन में

ना कोई दूसरा भाव। 


प्रेम ही प्रेम पाऊँ जीवन में

और जीवन हो जाए फूलवान।


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