दोस्ती, वो पल
दोस्ती, वो पल
१। दोस्ती
दोस्ती का हर रूप अनोखा
दोस्ती का हर रंग निराला
जब भी उदास हुआ ये दिल
तेरी दोस्ती ने मुझे संभाला
मैं तो टूट गई होती कब की
अगर तू ना बनता उजाला
हर मुश्किलों में थाम के हाथ मेरा
मुझे हर कठिनाइयों से निकाला
कहा- तू क्यों घबराती है
जब संग तेरे तेरा साथी है
बोल के मीठे-मीठे बोल तुमने
मेरी खुशियों का खोला ताला
दोस्ती का हर रूप अनोखा
दोस्ती का हर रंग निराला
२ )वो पल
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कितने हसीन थे वो पल,
जब बितती थी ज़िन्दगी यारों के संग
अक्सर वो हमारा मज़ाक बनाया करते
कभी हम उन्हें चिढ़ाते, कभी वो हमें चिढ़ाया करते
लेक्चर में करते साथ-साथ बंक
तो डांट भी साथ ही खाया करते
टिफिन के डब्बे जब खुल जाते
अलग-अलग पकवानों की मौज उड़ाया करते
कभी क्लास के अंदर बैठते
तो कभी कैंटीन में महफिल सजाया करते
आ जाती है मुस्कान चेहरे पर
जब देखता हूँ मैं अपना कल
कितने हसीन थे वो पल…
कितने हसीन थे वो पल…