दोस्ती और जिम्मेदारी Part 1
दोस्ती और जिम्मेदारी Part 1
जिंदगी की भाग दौड़,
कैसा ये सितम ढा रही है?
यारों से बिछड़ने का कहकर,
Success की बातें बता रही है!!
उनके कपड़े भी पहने हमने,
अपनी फटी पैंट भी उनको पहनाई थी,
व्यस्त है वो दोस्त सभी,
जिन्होंने साथ देने की कसमें खाई थी!!
कोई दुकान पर बैठा है,
कोई बच्चों को पढ़ा रहा है,
खुद को जिंदगी चाहे समझ ना आयी,
पर जीना सीखा रहा है!!
खेलने कूदने की उम्र मैं,
बचपन छीना जा रहा है,
खुद भटका एक नौजवान,
उनको रास्ता बता रहा है!!
याद आये जो पल,
वो कहाँ बना पा रहे है?
SUCCESS के चक्कर में,
सब दांव लगाए जा रहे है!!
गुप्ताजी का बेटा भी,
किताबों को चाट रहा है,
शर्माजी के बेटे से आगे निकलने को,
रातों को जागकर काट रहा है!!
दोस्त भी बंटते है सारे,
राजनीति की बातों से,
भूल जाते वो हसीन समय भी,
दोस्त बने जिन रातों से!!
आगे निकलने की होड़ में,
जीवन की भाग दौड़ में,
सब गंवाए जा रहे है,
साथ ठहरे जो हमेशा,
हम वैसी दोस्ती कहां निभा रहे है?
दोस्ती की उम्र में,
"अहम" सबको खा रहा है,
किसी और को क्या समझाये?
"हेमन्त" खुद समझ ना पा रहा है!!