दोबारा मुलाक़ात
दोबारा मुलाक़ात
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किस्सों से यादें ना बनती
ना आतें वो याद दोबारा
सूरज अपना कभी ना ढलता
ना होती फिर रात दोबारा
नम ना होती हवाएं भी गर
ना होती बरसात दोबारा
सपनों के टुकड़े ना होते
खाते ना हम मात दोबारा
संग पुराने साथी होते
मिल पाते गर साथ दोबारा
इक अजनबी से रिश्ता ना होता
गर ना होती मुलाक़ात दोबारा