दो किशोरों का मन
दो किशोरों का मन
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खेत की मेड़ पर, हाथ में हाथ ले,
हम रहे दौड़ते...
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तितलियाँ पकड़ने के लिए होड़ में
अथवा कटती पतंगों को लूटने
साँप-सीढ़ी या लूडो को खेलते
साँझ ढलने लगी, बात को बात से
हम रहे मोड़ते...
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कभी चिड़ी बल्ला, कभी गेंद बल्ला,
साथ ही क्लास कोचिंग्स की मौज भी
मित्रता के अमर वृक्ष की छाँव में
दो किशोरों का मन युवा स्वप्न ले
हम रहे पौढ़ते
