दिलों के दर्द (गजल)
दिलों के दर्द (गजल)
पढ़ लेना दिल का दर्द हमारा
दर्द के अल्फाज बदल लेते है हम,
अपनी आँखो में नमी आने पर,
अंन्दाज जीने का हम बदल लेते है।
रख लेते दिल हमारा
दरिया दिल बनकर आप,
हम कांटे बनकर ही कहीं
फूल-से आप की हिफाज़त कर लेते।
कह देते हमें जो भी था कहना
हम आसमान से तारे तक तोड़ देते,
कुछ नहीं है पास पर हम क्या करें
आपके कहने से हम इतना तो झूठ बोल देते।
उठा कर निगाहें कभी तो हमें देख लेते
फेर कर निगाहें आप हमारा चैन ले गये
खफा होकर हमसे फिर बोल
लेते
कुछ तो वफा आप हमसे निभा लेते।
बोल कर कड़वे वचन दूर हुये
मीठे वचन कह कर ही हो जाते,
बोल अपने कडुवे तो कह गये
मीठे बोल कुछ हमारे भी सुनकर जाते।
मुख ऊपर मिठास का ना होना यथार्थ था
हम गलत थे इसका हमें अनुमान भी था
मुख पर तो विष जब लग ही गया था
तब अतंस के अमृत का भान नहीं होना था।
पढ़ लेना दिल के दर्द कहीं
यहां बहुत खामोश भी बैठे है,
आँखो में नमी ना दिखने पर भी
बातों बातों में हमें आँसू पहचान लेने है।