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Bhawana Raizada

Others

5.0  

Bhawana Raizada

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दिल में एक बच्चा बसा है

दिल में एक बच्चा बसा है

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दिल में एक बच्चा बसा है,

जो लेता है कभी कभी अंगड़ाई।

झांकता है ज़िम्मेदारियों के,

झरोखों से।


छिपा है जो कहीं किसी कोने में,

अनायास ही आ जाता है सामने।

कभी कभी वो करता है ज़िद भी,

किसी अनुचित मांग को लेकर।


बिना बात के लड़ जाता है,

कभी यूँ ही लड़कपन में।

और कभी उछलने लगता है,

वो होके मस्त मलंग।


अपनी मस्ती, अपनी दुनिया,

अपनी यादों के संग।

खुश हो जाता है वो ,

ज़रा से अपनत्व से।


नाराज़ भी जल्द ही,

गर मिलो न अपनेपन से।

बांटता है प्यार वो प्यार से,

निश्छल, निस्वार्थ और नम्रता से।



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