दिल की आवाज़
दिल की आवाज़


इस भरे संसार मे,
ज़ज़्बातों के बाज़ार में
उमड़ पड़ते है आँसू...
मिलता नहीं कोई कगार में।।
भर जाता है दिल,
छलक पड़ती है अखियाँ,
ढूढ़ता है दिल
कहीं कोई साथिया।
याद आता है फिर वही
पुराना नग्मा ,
जब साथ था कलम का
बर्तन था स्याही का...
उमड़ पड़ते थे ज़ज़्बात
कोरे जब साथ था कलम का
बर्तन था स्याही का...
उमड़ पड़ते थे जज्बात
कागज़ में यार।।
आज फिर वही तराना हमनें गाया,
अपनी कलम को स्याही से मिलाया,
लिखने का सिलसिला शुरू हुआ ...
आत्मा की आवाज़ को एक रूप मिला
दिल का बोझ कुछ हल्का हुआ
मेरे मन को एक सुकून मिला।।
एक मोहब्बत की शुरुआत हुई
कलम और स्याही मैं बात हुई
हम भी चश्मदीद गवाह बने
हमारी भी अपने आप से मुलाकात हुई।।
बदली -बदली सी फिर मैं लगने लगी
अधरों पे मुस्कान बिखेरने लगी,
साथी मिला ,साथ मिला...
मेरी सोच को एक नया आयाम मिला।।
आँखों के आँसू थमने लगे
दिल के आगाज़ बदलने लगे
मुझसे 'मैं ' फिर से 'मिल ' गई,
अपनी भी शख़्शियत बदल गई।
मेरा किरदार फिर से महका
मेरा दिल का परिंदा फिर से चहका
प्यार मुझको मुझ से हुआ ,
कलम और स्याही के साथ जिंदगी का
नया सिलसिला शुरू हुआ।।