दिल बच्चा बन गया-बुढ़ापे की सन
दिल बच्चा बन गया-बुढ़ापे की सन
बुढ़ापे का देखो यह हाल अच्छा बन गया,
बाल पक गए और दिल बच्चा बन गया।
जवानी में किए परहेज थे कि तंदुरुस्ती ना जाए,
अब जो कुछ ना खा पाए बस वही मन को भाए।
आंखें थक गई और दिमाग कच्चा बन गया,
बाल पक गए और दिल बच्चा बन गया।
निकल जाता है दिन बस यूं ही बड़बड़ाते,
कल तक जो थे तंग करते, आज उन्हीं को सताते।
जवानों से शिकायतें बुजुर्गों से साथ सच्चा बन गया,
बाल पक गए और दिल बच्चा बन गया।
सही अब ना जाती है बच्चों की शैतानी,
नहीं अच्छी लगती किसी की भी मनमानी,
पर समझा ना पाते, जैसे बातों का लच्छा बन गया,
बाल पक गए और दिल बच्चा बन गया।
