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SARVESH KUMAR MARUT

Others

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SARVESH KUMAR MARUT

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दिवाली

दिवाली

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साँझ भई अंधकार बढ़ चला,

दीप सजे अब तेल से भरे।

           बार दिए हैं देखो सब ने,

           अंदर-बाहर, ऊपर-नीचे।

चकाचौंध हैं सभी दिशाएं,

फ़ैल गयी है उजियारी।

           हँसों-खेलों, फलो और फ़ूलो

           हर वैभव ले कर आये।

नाश करे अंधकार दिलों से,

सब रौशन कर जाए दिवाली।।



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