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Neeraj pal

Others

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Neeraj pal

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दीदार

दीदार

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कैसे पहुँचे तेरे दर पर ,मैं हूँ बड़ा मजबूर।

ना जाने क्यों ऐसा लगता, हो गया तुमसे दूर।।

तुम तो सबके हृदय में रहते, बरसाते हरदम नूर।

मेरा हृदय तो इतना मलिन है ,हो गया चकनाचूर।।

जीवन रहते "दीदार" करा दे, तुमसे यही है एक गुजारिश।

क्या यह काया व्यर्थ ही जाएगी ,किससे करूँ सिफारिश।।

रूहानी दौलत का तू है मालिक, मैं ठहरा एक भिखारी।

तेरी रहमत पर सब ही पलते ,मैं हूँ बड़ा अहंकारी।।

तूने दिया है सब कुछ मुझको, फिर भी दिल है बेचैन।

तेरी "नूरानी सूरत" को दीदार का प्यासा ,तब आए मुझको चैन।।


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