धीरे-धीरे से पढ़ने मे मन लगाना
धीरे-धीरे से पढ़ने मे मन लगाना
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धीरे-धीरे से पढ़ने मे मन लगाना ।
पुस्तक से ज्ञान लेकर दिल मे उतारना ।
पुस्तक से प्यार कितना जाने न ये जमाना।
बन ज्ञानवान हमको जग को है बताना।।
अनपढ़ गंवार जब तक दिल मे करार ना है।
सम्बन्ध एक ऐसा जो पाऊं ना मै तुम बिन ।
दर्श याद के बिन कोई काम और ना है।
मै बन गया हूं तेरा मै हूं तेरा दिवाना ।।
तेरे प्यार ने है हमको रातों को भी जगाया ।
नीद को चुराया लगाया ज्ञान की बातो मे।
बेशक है तूने हमको कर्म मे लगाया ।
तेरी अदा पे हर बस मेरा है दिल लुभाया ।
आ जा आ जा आ जा मेरे ज्ञान को बढाना।
