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Nand Kumar

Others

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Nand Kumar

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धीरे-धीरे से पढ़ने मे मन लगाना

धीरे-धीरे से पढ़ने मे मन लगाना

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धीरे-धीरे से पढ़ने मे मन लगाना ।

पुस्तक से ज्ञान लेकर दिल मे उतारना ।

पुस्तक से प्यार कितना जाने न ये जमाना।

बन ज्ञानवान  हमको जग को है बताना।।

अनपढ़ गंवार जब तक दिल मे करार ना है।

सम्बन्ध एक ऐसा जो पाऊं ना मै तुम बिन ।

दर्श याद के बिन कोई काम और ना है।

मै बन गया हूं तेरा मै हूं तेरा दिवाना ।।

तेरे प्यार ने है हमको रातों को भी जगाया ।

नीद को चुराया लगाया ज्ञान की बातो मे।

बेशक है तूने हमको कर्म मे लगाया ।

तेरी अदा पे हर बस मेरा है दिल लुभाया ।

आ जा आ जा आ जा मेरे ज्ञान को बढाना।



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