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SURYAKANT MAJALKAR

Others

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SURYAKANT MAJALKAR

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देश का खेल

देश का खेल

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खेल नहीं ये युद्ध है,

कहाँ नीतियाॅं शुद्ध है।

किसी का भाव लाख,

किसी का करोड़ हो 

जाता है।


कोई यहाॅं बिकता है,

कोई यहाॅं टिकता है।

विशुद्ध मन से 

मेहनत और लगन से

कोई देश-प्रेमी ही

खेलता है।


बड़े ब्रांड का बड़ा पैसा

कोई खेले फिर वैसा,

पड़ोसी देश लगे 

दुश्मन जैसा,

क्रिकेट खेल में

ये व्यवहार कैसा?


वो जमाना (१९८३ वर्ल्ड कप)

याद आता है...

जब कपिल वर्ल्ड कप लाता है।

 फिर भी

सपना हर माॅं का है अब,

मेरा बेटा सचिन, धोनी, 

या विराट बने कब?


फिर ये दौर सुहाना है,

आज भी 'क्रिकेट प्रेमियों'

का जमाना है।


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