देखते हैं
देखते हैं
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देखते हैं राह को
सोचते हैँ चाह को
कब किसी परवाह को
माना है किसी ने !
संघर्ष था हमारा
उत्कर्ष है हमारा
रंग ला दिया प्रभु ने
तो हर्ष भी हमारा !
अश्को की बन्दगी की
रश्को की ज़िन्दगी थी
ना रोकते उसे गर
विश्वास भी हमारा !
अपनो ने तो लिय़ा सब
गेरों ने तो दिया सब
अब दोष क्यूँ किसी का
रिश्ता तो है हमारा !
आँखों को लाल करते
सांसो का हाल जंचते
फिर आ गया मुकद्दर
रस्ता तो है हमारा !!
