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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Others

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

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देखते हैं

देखते हैं

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देखते हैं राह को 

सोचते हैँ चाह को 

कब किसी परवाह को 

माना है किसी ने !


संघर्ष था हमारा 

उत्कर्ष है हमारा 

रंग ला दिया प्रभु ने 

तो हर्ष भी हमारा !


अश्को की बन्दगी की 

रश्को की ज़िन्दगी थी 

ना रोकते उसे गर 

विश्वास भी हमारा !


अपनो ने तो लिय़ा सब 

गेरों ने तो दिया सब 

अब दोष क्यूँ किसी का 

रिश्ता तो है हमारा !


आँखों को लाल करते 

सांसो का हाल जंचते 

फिर आ गया मुकद्दर 

रस्ता तो है हमारा !!


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