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Dr. Poonam Gujrani

Children Stories

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Dr. Poonam Gujrani

Children Stories

देखो मेरे आँगन

देखो मेरे आँगन

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बुलबुल , चुलबुल, सौन चिरैया

देखो मेरे आँगन।


मीठी बोली सूर्य उगाये

मुस्कानों के गीत सुनाये

किरणों के संग नाचे गाये

पूरे जग का जी बहलाये

बरगद की टहनी पर बैठे

चाहे घूप चढ़े या छैया

देखो मेरे आँगन।


मेहनत का देती संदेशा

चुनकर तिनके रोज सजाती

फुदक - फुदक कर खेल खेल में

उङ़ना बच्चों को सिखलाती

उसको देखे मुनिया मेरी

नाच रही है ता - ता थैया

देखो मेरे आँगन।


नाप रही है आसमान को

जात - पात का भेद न रखती

क्रोध, लोभ, अभिमान न जाने

इस दुनिया को कहती रहती

भूल न जाना उसकी बातें

सच्चा जीवन जीना भैया

देखो मेरे आँगन।



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