दादू हैं बेचैन
दादू हैं बेचैन
उम्र साठ क्या हुई, सुन रहे दादू सठियाये हैं
साठा- पाठा कहा किसी ने बोला बौराये हैं ।१
पायदान ऊंचे ऊंचे आबाद नई पीढ़ी हैं
अब जिसका उपयोग नहीं है, दादू वो सीढ़ी हैं ।२
उमर पकी, तन थका थम गई दौड़-धूप अब सारी
कदम कदम नजदीक आ रही दिखती है लाचारी ।३
जो जवान हैं व्यस्त, मस्त हैं, दादू बैठ अकेले
करते रहते याद पुराने पुण्य पाप के मेले ।४
सुनने को तैयार न कोई, किसे सुनाएं गाथा
जिसने सुना कहा दादू का घूम गया है माथा ।५
जीवन भर के ज्ञान अनुभवों का जो भरा खजाना
हर दादू की चाह नई पीढ़ी को देकर जाना ।६
नई पुरानी पीढ़ी में कुछ रही दूरियां मन की
दादू हैं बेचैन बताने को, कहलाते सनकी ।७