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Sandeep Gupta

Others

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Sandeep Gupta

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चुपके से

चुपके से

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चुपके से उगता है सूरज,

चुपके से ढल जाता है,

चुपके से होती है सुबह,

चुपके से हो जाती शाम,

दिन ढल जाता चुपके से,

चुपके से हो जाती रात।


चुपके से होती है बातें,

चुपके से मुलाक़ातें,

चुपके से हँसते हैं सब,

चुपके से रोते हैं,

सब हो जाता चुपके से,

फ़ोन फ़ोन के बीच।


चुपके से जलता है चूल्हा,

चुपके से लगती है थाली,

चुपके से खाता है भैया,

चुपके से खाती है दीदी,

सब खा लेते चुपके से,

फ़ोन फ़ोन के बीच।


हँसती अम्माँ, हँसती दादी, 

हँसते अब्बा, हँसते दादा,

चुपके से सब हँस लेते हैं,

फ़ोन फ़ोन के बीच।


चुपके से आती है गरमी,

चुपके से आती है सर्दी,

टिप-टिप टप-टप जो शोर मचाती,

बरखा वो, आती है अब चुपके से ।


फुदक-फुदक जो दाना थी खाती,

चुपके से आती, चिड़िया वो अब,

घुस-घुस आती घर में थी जो,

चुपके से आती, कुतिया वो अब,

सब आते घर चुपके से अब,

फ़ोन फ़ोन के बीच ।


रुस्सम-रुस्सा,गुस्सम-ग़ुस्सा,

अट्टी-बट्टी,कट्टा-कट्टी,

धक्का-मुक्की, पटका-पटकी,

अकड़ दिखाना, चपत लगाना,

सब हो जाता चुपके से,

फ़ोन फ़ोन के बीच ।


चुपके चुपके सुबह चुराने, 

घर में घुस आया ये कौन,

चुपके चुपके रात चुराने, 

घर में घुस आया ये फ़ोन,

चुपके चुपके चुरा मुझे वो,

चुपके चुपके चुरा तुझे वो,

धर गया बीच हमारे मौन ।



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