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Ramesh Mendiratta

Others

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Ramesh Mendiratta

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चिकन, कबाब और व्हिस्की

चिकन, कबाब और व्हिस्की

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कमाई हो दिन भर लाखों, हज़ारों या पांच सौ मामूली 

शाम को मांगता क्या ? चिकन कबाब और व्हिस्की। 


फाइलें, ड्राफ्ट, लेटर, बॉस की सुनो उलटी सीधी ,

शाम को चाहिए क्या ? चिकन ,काजू और व्हिस्की।


काम कैसे भी, ईंट ,गारा, सीमेंट, बिल्डिंग सरिये की,

शाम को उन्हें चाहिए , क्या?चिकन, चबेना ,व्हिस्की।


फ्लैट बाइक न बाइक, एग्रीमेंट किये या न भी किये,

मांगता शाम को क्या ?चिकन,बियर ,कबाब, व्हिस्की।


हों कमज़ोर, बीमार, ज़रूरतें हैं परिवार, पत्नी, बच्चों की,

पर करें क्या, इन्हें भी पीनी शाम को, ठर्रा ,दारू या व्हिस्की।


चिंतामग्न ,सोच में पसरी हुई है सोफों पर कुछ तोंदें देश की,

अब तो वक़्त है किसका? चिकन ,कबाब,काजू और व्हिस्की।


उस शहर में सभी कमज़ोर वर्ग, सिर्फ कुछ रोटियाँ, सिसकी,

एक ही चीज़ ,चबेना, रम, ज़हरीली ही सही, व्हिस्की।


क्या बात करें सब महानगर, शहर या मोहल्ले के कल्चर की,

शुरू और खत्म हो जाती एक जगह, चिकन, बियर,व्हिस्की।


 (मेरे मदिरापान को बढ़ावा देने का कोई इरादा या मंशा नहीं है,

इसे व्यंग्य के रूप में ही लिया जाये)





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