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अजय '' बनारसी ''

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अजय '' बनारसी ''

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छमछम छमछम बारिश आई

छमछम छमछम बारिश आई

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छमछम छमछम बारिश आई

छमछम छमछम बारिश आई


उड़े खर पतवार खेतों से

चलने लगी जोर से पुरवाई

सौंधी सुंगध मिट्टी की छाई

मौसम लेकर हरियाली आई 

छमछम छमछम बारिश आई


पपीहे मेंढक ने कुछ गीत गढ़े

बुआ सखियों संग कजरी गाई

बेहन ठुमक ठुमक क्यारी में नाचे

हो रही ज़ोर से धान की रोपाई

छमछम छमछम बारिश आई


ग्रीष्म के तरसे बीजों को ले

दादा के संग चले कन्हाई

कहते बो दो इनको माटी में

फल की चिंता करो न भाई

छमछम छमछम बारिश आई


नियति की यह पहली बारिश

पहली बारिश दुल्हनिया की

भैया पीहर ले जाने को आये 

कहते पीर बड़ी है, रोती माई

छमछम छमछम बारिश आई


इस बारिश में ताल भरे सब

भरे तलैया उछल उछल सारे 

महंगू की मड़ई टूटी आंधी में

मिलकर सभी छवाते भाई

छमछम छमछम बारिश आई


हर्ष नखत का है अद्भुत

ना बरसे तो सब सूना सूना

पानी बिन सब सून जगत में

कवित्त में बखान बड़ी बड़ाई

छमछम छमछम बारिश आई।


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