चाँद सा मुखड़ा
चाँद सा मुखड़ा
यूँ तो गुलाब का फूल भी
कहा जाता किसी के दिल का टुकड़ा।
पर नज्मों, गजलों, कविताओं में
सदा चमकता रहा-
चाँद सा मुखड़ा
राधा वादन चाँद सो सुंदर,
या चंद्रमुखी, गजगामिनी जैसी
उपमाओं से भरी पड़ी है
कविता रूपी रागिनी
चाँद जैसे मुखड़े पे
लटें, घटाएँ काली हैं
नैना भी कजरारे, बिंदिया
सितारों वाली है।
नायक के नैनो का नूर,
पर बन जाये कभी दिल का दुखड़ा,
यही चाँद सा मुखड़ा।
इसी मुखड़े ने तलवारें कई
उठवाई हैं
पद्मा को खिलजी ने देखा,
राणा पे क़यामत आई है।
गोरा, बादल बलि चढ़े,
जौहर की नौबत आई है।
मन भरमाये चाँद सा मुखड़ा
सबको भाये चाँद से मुखड़ा
खुद चाँद लजाये देख,
चाँद सा मुखड़ा
चाँद सा मुखड़ा
