STORYMIRROR

Ratna Kaul Bhardwaj

Others

2  

Ratna Kaul Bhardwaj

Others

चाहे मानो या न मानो

चाहे मानो या न मानो

1 min
191


हर मानव दुख की पीड़ा से जूझ रहा है आजकल 

आँसू पी रहा है,फीकी है हंसी, चेहरे सपाट 

चाहे मानो या न मानो ।


सतरंगी दुनिया में , आलीशान बंगलों में भी 

हंसी गुम है , मिटटी के पुतले जी रहे हैं, 

चाहे मानो या न मानो। 


भेद भाव , अहंकार में डूबी है सबकी नैया

भूल चुके हैं, खेवनहार एक ही है,

चाहे मानो या न मानो ।


मानवता का लहू बिक रहा है रूढ़िवादियों के हाथों से 

भूल जाते हैं कि लहू का रंग एक ही है, 

चाहे मानो या न मानो। 


अपने जीवन की ओछी आशाओं के पीछे 

सत्ता जनता को पांव तले रौंद रही है ,

चाहे मानो या न मानो।


कितनी भी मंज़िलें चाहे तय कर चुके हो ,

जीवन का वह पहला संगर्ष कभी भूलता नहीं 

चाहे मानो या न मानो।


तन्हाइयों से निकलकर महफ़िलें सजाते हो अब 

मुड़ कर देखो एक बार, वह सूना आलम याद करोगे, 

चाहे मानो या न मानो।


आँसू दिखने में चाहे बिलकुल एक जैसे हों,

दुःख के आंसुओं , सुख के आंसुओं में अंतर है,

चाहे मानो या न मानो।


ज़िन्दगी में मौके कई आते हैं, फायदा उठाने के लिए,

जो भरोसे के काबिल हो, हर पग पर वह रोंदे जाते हैं,

चाहे मानो या न मानो। 


प्यार करने वाले बहुत मिलते हैं जिनके दिल हैं बंजर, 

ठंडी छांव के लिए हमारा ही साया ढूंढोगे, 

चाहे मानो या न मानो।  



Rate this content
Log in