चाहे मानो या न मानो
चाहे मानो या न मानो
हर मानव दुख की पीड़ा से जूझ रहा है आजकल
आँसू पी रहा है,फीकी है हंसी, चेहरे सपाट
चाहे मानो या न मानो ।
सतरंगी दुनिया में , आलीशान बंगलों में भी
हंसी गुम है , मिटटी के पुतले जी रहे हैं,
चाहे मानो या न मानो।
भेद भाव , अहंकार में डूबी है सबकी नैया
भूल चुके हैं, खेवनहार एक ही है,
चाहे मानो या न मानो ।
मानवता का लहू बिक रहा है रूढ़िवादियों के हाथों से
भूल जाते हैं कि लहू का रंग एक ही है,
चाहे मानो या न मानो।
अपने जीवन की ओछी आशाओं के पीछे
सत्ता जनता को पांव तले रौंद रही है ,
चाहे मानो या न मानो।
कितनी भी मंज़िलें चाहे तय कर चुके हो ,
जीवन का वह पहला संगर्ष कभी भूलता नहीं
चाहे मानो या न मानो।
तन्हाइयों से निकलकर महफ़िलें सजाते हो अब
मुड़ कर देखो एक बार, वह सूना आलम याद करोगे,
चाहे मानो या न मानो।
आँसू दिखने में चाहे बिलकुल एक जैसे हों,
दुःख के आंसुओं , सुख के आंसुओं में अंतर है,
चाहे मानो या न मानो।
ज़िन्दगी में मौके कई आते हैं, फायदा उठाने के लिए,
जो भरोसे के काबिल हो, हर पग पर वह रोंदे जाते हैं,
चाहे मानो या न मानो।
प्यार करने वाले बहुत मिलते हैं जिनके दिल हैं बंजर,
ठंडी छांव के लिए हमारा ही साया ढूंढोगे,
चाहे मानो या न मानो।
