बुरा न देखो, न सुनो, न कहो।
बुरा न देखो, न सुनो, न कहो।
ये दुनिया है अजीब गोरखधंधा,
हर किसी को समझ नहीं आता,
जिसको समझते आप शरीफ,
वो निकलता सबसे बड़ा शातिर,
और जिसको समझते शातिर,
वो निकलता उसका उल्टा।
इसलिए दुनियादारी समझना,
है नहीं काम हर किसी के बस का,
जो कोई इसको सुलझा पाया,
वो ही दुनिया में कामयाब होकर आया।
मुझे लगता,
यहां पे भी बापू थे प्रासंगिक,
बुरा मत देखो,
बुरा मत सुनो,
बुरा मत कहो,
थे उनके मूल मंत्र।
अगर कोई इनका करे अनुसरण,
तो जीवन में कठिनाई हो जाए कम,
कम से कम,
आप हर लफड़े से बच जाएंगे,
जिंदगी में तनाव कम पाएंगे।
