बसंत ऋतु
बसंत ऋतु
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सर्दी अब ढल गई है
बसंत ऋतु खिल गई है
मौसम है मीठा मीठा,
अब ऋतु बदल गई है
लबों पर मेरे मुस्कान है
आबो हवा अब बदल गई है
अब दरख़्त की छाया,
शीतल करती है काया
अब सर्दी भी गल गई है
ये समय कुछ अलग है
सबके दिल में,
आंनद का भरा हुआ जग है
बसंत की ये ऋतु,अब
इंद्रधनुष सी खिल गई है
सर्दी अब ढल गई हैं
बसंत ऋतु खिल गई है
