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Shahana Parveen

Others

5.0  

Shahana Parveen

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बसंत की बहार ...सदाबहार

बसंत की बहार ...सदाबहार

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पतझड़ के बाद आया बसंत

चारों ओर बहार ही बहार छा गई,


सरसों के फूल लग रहे कितने सुहाने

पीले पीले देखो लगें कितने प्यारे, 


बसंत ऋतु पर रिझते हैं देखो कैसे

लगता है प्रिय से मिलन हो जैसे,


कोयल की कूहू - कूहू लगती है प्यारी

मन को दिवाना करती गाती मतवाली,


महक उठा उपवन, झूम उठी वादियाँ

मोर का नाच सबको दीवाना बना गया,

 

ऋतुओं का राजा आ गया गली गली मे शोर 

सपने होगें हमारे पूरे ऐसा लगे चारों ओर,

 

हर मन मे भरा है उत्साह

नर - नारी मे जोश है भरता,


चारों ओर हरियाली है छाई

भंवरे गुनगुना रहे मधुर गीत- संगीत,

 

उनकी धुनों पर फूल गए रीझ

सुंदर समा फैला है चारों ओर,


सुंदर नज़ारा रौनक है छाई

चारों ओर ठंडी हवाएं चल रही हैं,


फूलों की खूशबू सबका मन मोह रही है

पक्षी चहक रहे हैं पेड़ो पर,


उनका स्वर सुनकर मन प्रफुल्लित हो उठा

सकारात्मकता का प्रवेश हो रहा है धीरे धीरे,


प्रकृति का ये नज़ारा बहुत अनमोल है

जीवन भर देता लोगों मे ऐसा इसका रौब है,


बसंत ऋतु मे हर दिल मस्ताना 

आओ मिलकर हम भी नाचे गाएँ,

बसंत ऋतु मे सबको गले लगाएँ!!



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