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Anita Jha

Others

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बसंत बहार में ख़याली पुलाव

बसंत बहार में ख़याली पुलाव

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आया मौसम बसंत बहार का 

फूलों संग चहचहा रही थी 

घर आगंन मधुबन को सजा रही थी 

मैं सपनो संग जाग गई थी 

ख़याली पुलाव पका रही थी।


उड़ रही थी ख़ुशबुओं की बहार थी 

आई जब से बहुरानी थी 

मन पंख लगाये उड़ते थे 

ख़याली पुलाव बन लड्डू फूट रहे थे।


मैं सपनो संग जाग गई थी 

ख़याली पुलाव पका रही थी।


अब चूल्हे चौके की महंती 

महारानी ना होगी मैं 

आ गई जब से बहुरानी थी 

रूप सजा श्रिंग़ार किया था।


मैं अपनो संग जाग गई थी 

ख़याली पुलाव पका रही थी।


बऊआँ ने बहुरानी को हार गले पहना दिया था 

गोल गप्पें की मधुर वाणी हो गये सब निहाल 

छोड़ दिया मायका का साथ था 

बनी पसंद आप सबकी ही मेरी पसंद बन गई थी। 


मैं सपनो संग जाग गई थी 

ख़याली पुलाव पका रही थी 


फ़ोन दिया ,बापू ने सब कुछ ख़याली पुलाव साथ 

पहली रसोई मँगवाई बहुरानी ने 

स्वेगी , जमेटो आडर की भरमार थी 

सज धज कर पकवान पहुंचा ।

बच्चे बूढ़े सभी जवान भा गई बहुरानी पहली रसोई ।

सासो ने भी साँस रोक किया 

अद्भुत भोजन सुगर फ़्री रसपान किया था 

एलान किया था । 

छक कर खाओ खूब नाचाओ 

सब का सतकार करेंगे ।


मैं सपनो संग जाग गई थी 

ख़याली पुलाव पका रही थी।


सास बहु संग नाच नचवाएँ सबसे सुन्दर जोड़ी दिखाये

 ख़याली पुलाव चटनी संग 

बऊआँ सासुर के हो गये सब अरमान पूरे।


मैं सपनो संग सच जाग रही थी 

ख़याली पुलाव पका रही थी।







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