बसंत आया
बसंत आया
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सरसों है खिला खिला
धरा हुई पीली पीली
आया है बसंत ऋतु
खुद को संभालिये।
गन्ध मकरंद हुआ
महक चमन गया
देखो मधुमास आया
मन को मनाइये ।
भँवरे की है गुंजार
मन वीणा की झंकार
तितली सी उड़ चलूं
सब को बताइये ।
गेंदा खिला क्यारी क्यारी
रात फैले रात रानी
पवन है मद मस्त
ऋतुराज आइये ।
