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GOPAL RAM DANSENA

Others

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GOPAL RAM DANSENA

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बसंत आने को है

बसंत आने को है

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ये सखी पादप बृंद इठला रहे हैं

हरिया चूनर तान दिखला रहे हैं

यौवन फिर अपना रंगत ढाने को है

अली राग यही बोले बसंत आने को है।


प्यासा है ये अंतर्मन सबका

चैन ढूंढ रहा एक बड़ा तबका

अब की बार हर कोई रंग जाने को है

मन की झंकार कहे बसंत आने को है I


तंबूरा ले रागी मगन हो रहा

लय संग तान वह खो रहा

मन में उद्वेलित तरंग उछल जाने को है

उसका हर राग कहे बसंत आने को है I


आंसू पोंछ सखी वो दुखी हो जाएगा

रूंधे गले से न बातें कहा जाएगा

क्या मंशा तेरी उन्हे रुलाने को है

जरा अब स॔वर जा बसंत आने को है I



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