बरगद की छांव
बरगद की छांव
बरगद की छांव सा है ,
मेरे बुजुर्गों का मेरे लिए प्यार ,
जितनी अंदर जड़ें हैं पैठी इसके ,
उतने ही अंदर तक मेरा भी मन जुड़ा है उनसे ।
मेरे बचपन की यादों से जुड़ा यह बरगद ,
इसकी छाँव तले क्या क्या खेल खेल हमने ,
झूले डाले और झूले सखी सहेलियों संग,
आँख मिचौली और छुवा छुवव्वल सबका यह बना गवाह ।
हम सबके बचपन का साथी है यह ,
दुख और सुख का हमारे जुड़ा है इससे नाता ,
बरगद की छांव और बुजुर्गों का आशीर्वाद ,
होते एक जैसे ,जितना देते हमें उतना बढ़ते ,
इससे हमारा नाता बहुत है गहरा ।
