बोलती आँखें
बोलती आँखें
1 min
279
इतराती ठुमकती
तोतली बोली तेरी लुभाती
घर आँगन में तितली सी उड़ती
गले में बाँहों का हार डालती
नीली मृगनयनी आँखें बोलती
मुस्कान तेरी हर थकान मिटाती
झट से पढ़ लेती मन की पाती
घर की चिराग़ तुझ में देखती
तू ही मेरी लौ की बाती
घर की रौनक़ तुझसे ही आती
तू ही मेरी जीवन की थाती
धड़कता दिल ज्यों तू बढ़ती जाती
सशंकित ह्रदय फ़न उठाती
डंसने को आतुर सँपोले देखती
पुरूष मन को टटोलती
आंचल फैला तुझको बचाती
फ्रॉक से कब लहंगा पहन
डोली में बैठी नीर बहाती
ससुराल चली मेरी जीवन ज्योति
तेरी मेरी आँखें झर झर बरसती
बहुत कुछ नि:शब्द आँखें बोलती
