बन बैठे है..!
बन बैठे है..!
कल तक जो थे अजनबी
वो आज नबी बन बैठे हैं।
कल तक जिसका आक्स तक नहीं मौजूद था
वो आज दिल में बनके छवी बैठे हैं।
कल तक जो ख्वाब भी ना थे
वो आज हकीकत बन बैठे हैं।
कल तक हम जिसे ढूंढ़ते थे चांद सितारों में
आज वो हमारे जमीं आसमान बन बैठे हैं।
कल तक जिस से थी मीलों की दूरी
वो आज हर सांस पे जरुरी बन बैठे हैं
कल तक जो थे गुमनाम
वो आज हम-नाम बन बैठे हैं।
कल तक हमें जिसकी कमी थी
आज वो इन आंखों के अमी बन बैठे हैं।
कल तक जो महज एक किस्सा भी ना थे
वो आज पूरी कहानी बन बैठे हैं।
कल तक ना था कोई रिश्ता
वो आज फरिश्ता बन बैठे हैं।
और हम, जो कल तक थे बेजुबां
वो आज शायर बन बैठे है।