बीती कहानियां गुज़रे लम्हे
बीती कहानियां गुज़रे लम्हे
कहानियां कितनी अधूरी रह गई
मगर शिकवा शिकायत नहीं
लमहे कितने बह गए समय के
बहते समुन्दर में
मगर कोई गिला नहीं
यह कम तो नहीं
कि हर नई कहानी
एक नए अंदाज से
नई अनुभूतियां लिए
कल्पना की उड़ान भरती
हर दिन हो जाती है प्रत्यक्ष
हर नया लमहा,चंचल,जोशीला
आता है लेकर
छोटी सी एक पोटली
जिसमे बंधे हुए हैं
अगले लमहे के बीज
चुनें नई कहानी,नया लमहा
पीछे मुड़ कर देखें
इतनी फ़ुरसत कहां
गुज़री कहानियों और लम्हों पर
जम गईं हज़ारों परतें
मीठी हों या दुख़दायी
अब पड़ता है फ़र्क कहां
परत तो जम गई है सभी पर
हो गए कितने रंग बदरंग
हो गए कितने सपने भंग
पर दूजी ओर कितनी उदासियां
बदल गईं खुशियों में
सज गए सपने सतरंगों में
क्यों जकड़ कर बैठें
उन बीती बातों को
हर पल मिलता है मौका
एक नए पल को जीने का
एक नई शुरुआत का
एक नए नज़रिए का
कस लूं इस पल को मुट्ठी में
बना लूं इसे एक नई शुरुआत
कितना कुछ है अपने बस में
शिकवे शिकायत की न हो गुंजाइश
कोई रंग न हो बदरंग
खुशियां न छोड़ें अपना संग !