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Nand Kumar

Others

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Nand Kumar

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भूख

भूख

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भूख अजब है बीमारी,

लगकर विवेक खा जाती है।

उल्टे सीधे सारे जग के, 

कामो को वह करवाती है।। 


भूख किसी को है धन की,

कोई पद का भूखा यहां खड़ा।

भौतिक सुख की है भूख प्रबल,

रोटी का नही अकाल पड़ा ।।


मिली हमे है सुन्दर काया,

सदा कमाकर खाओ।

अपनी भूख मिटाने को हक,

नही और का पाओ।।


नही कार धन या बंगला , 

बन भूख हमारी जाए।

रोटी की हो भूख हमे , 

हम प्यार सभी का पाएं ।।


प्यार का ही मै तो भूखा,

ना मिला प्यार है जीवन में ।

ईश्वर का ही एक सहारा ,

नही चाह सुख की तन में ।।



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