Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

अनूप सिंह चौहान ( बब्बन )

Others

2  

अनूप सिंह चौहान ( बब्बन )

Others

भारतभूमि मातृभूमि

भारतभूमि मातृभूमि

1 min
472


भारत वर्ष यह भूमि सदा से 

भिन्न भिन्न प्रकृति की रही

किन्तु मातृभूमि भूमि की

धारा अविरल अनन्त सदा ही

इसके जन जन के हृदय में बही

इस विषय विशेष में माँ की संतान सभी

एक दूजे से बढ़ चढ़कर रही

मैं न कहता यह बात स्वयं इतिहास रही

जब जब भी संकट आता कोई

निज मातृभूमि मर्यादा पर

तब तब यह सारा जान समूह

बन पड़ता सो कर जाता है

यह मातृभक्ति का ज्वार किन्तु

संकट में ही जग पाता है 

फिर संकट चाहे जैसा हो

चाहे हो वह क्रीड़ांगन

या स्वयं मृत्यु ने क्रीड़ा को

समरांगण कौतुक रचा कभी

है रही मान की बात यही

रज भी इस भारत भूमि की

प्रकृति की सब बाधाओं से

लड़ गयी मगर पीछे न हटी


Rate this content
Log in