भारत विकास
भारत विकास
वो पैदल पैदल चलना
दूर तक जाना,
यूं कदमो के बदले
कांधा मिल गया,
किसी कांधो पर
बैठे-बिठाए चलना
यूं पालतू जानवर का
सहारा मिल गया।
तरस तो इंसाँ को कुछ आया
घोड़ो की सवारी छोड़ी
तो कभी ऊंट पर आया
कभी बुग्गी पर कभी बेल की
सवारी करके खुब पछताया।
तब जाकर भारत एक
एक साइकिल लाया
खुब चला चलाकर मिलों घूम आया
लेकिन थकावट की मार देख
फ़िर से एक नया वाहन लाया।
साइकिल के साथ साथ
मोटर गाड़ी भारत ने
जमीं पर उतार दी
एक अकेला क्या जायेगा
पूरे परिवार की सवारी
एक गाड़ी मे बैठा के दी।
तिरपाल-टाट व कपड़े आदि
से बनी झोपड़ियाँ भी
कच्ची ईंटो मे बदल गई
रही हमारी तिरपाल भी
छप्पर मे बदल गई।
भारत ने फ़िर से एक
नई पहचान दिलाई
सूखी व कीचड़ वाली सड़के
कंक्रीट और तारकोल से बनाई।
वही जब पहली ट्राम रेलगाड़ी
भारत मे आई
भारत मे भाप के इंजन ने दौड लगाई
एक से लेकर छ: सौ तक
सब को सवारी कराई।
तब से लेकर अब तक
भारत अपनी जान लगाई
विकास की राह पकड़कर
सबको भारत ने पहचान दिलाई।
पानी के जहाज से
हवाई जहाज तक
रेल से लेकर मेट्रो तक
विकास की राह दिखाई
तब कैसा था ? भारत मेरा
अब कैसा है ये भारत मेरा।
मान से लेकर आन तक
भारत ने अपनी शान दिखाई
भारत विकासशील देश है
भारत ने अपनी पहचान बनाई ।