भारत-सा कोई देश नहीं है
भारत-सा कोई देश नहीं है
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भारत सा इस दुनिया में
कोई देश नहीं है यारो।
धोती और कुर्ते सा
कोई वेश नहीं है यारो।
वो भी दिन थे जब ये धरती
सोना उगलती थी।
इंसान के घर-घर में तब
खुशियाँ पलती थी।
अब यह भी एक समय है
जब भारत रोता है यारो।
गुलामी की जंजीरें
अब भी ढोता है यारो।
राम, रहीम, नानक ने
जन्म यहीं लिया था।
बुद्ध, वीर, शंकर ने
संदेश यहीं दिया था।
वेद, पुराण, गीता भी
यहीं रचे गये थे।
रामायण-महाभारत भी तो
यहीं सृजित हुये थे।
धर्म, ज्ञान-विज्ञान में
इस-सा ना दूजा था।
कर्म को ही इसने
सदा से पूजा था।
सत्य, अहिंसा, प्रेम
गांधी ने यहाँ सिखाया।
टैगोर, विवेकानंद ने
सदभाव यहाँ फैलाया।
सीता, सावित्री, लक्ष्मी सी
यहाँ की नारी है।
आजाद, सुभाष, भगत से
किस्मत भी हारी है।
आजादी पाई थी हमने
लाखों के बलिदानों से।
मुक्त हुए थे तब हम
अंधेरे के शैतानों से।
भारत को रखना है
सच में आजाद तो यारो।
स्वदेशी को जीवन में
अपनाना ही होगा।
निज भाषा का गीत प्यारे
गाना ही होगा।
भारत सा इस दुनिया में
कोई देश नहीं है यारो।
धोती और कुर्ते सा
कोई वेश नहीं है यारो।