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Bherusingh Chouhan

Children Stories

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Bherusingh Chouhan

Children Stories

भालू दादा

भालू दादा

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एक मर्तबा भालू दादा

गया देखने एक मेला ,

बन ठन कर निकला घर से

लगता था वह अलबेला ।

जाकर एक ठेले पर बोला

जल्दी दे दो मुझको केला ,

गर नहीं कुछ ले जाऊंगा 

रूठ जाएगी प्यारी मेरी लैला ।

कुछ केले उसने भी खाए 

छिलके सड़क पर फेंके ,

गया पैर जब छिलके पर 

दिन में ही तारे उसने देखे।



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