भालू दादा
भालू दादा
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एक मर्तबा भालू दादा
गया देखने एक मेला ,
बन ठन कर निकला घर से
लगता था वह अलबेला ।
जाकर एक ठेले पर बोला
जल्दी दे दो मुझको केला ,
गर नहीं कुछ ले जाऊंगा
रूठ जाएगी प्यारी मेरी लैला ।
कुछ केले उसने भी खाए
छिलके सड़क पर फेंके ,
गया पैर जब छिलके पर
दिन में ही तारे उसने देखे।