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नीलम पारीक

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नीलम पारीक

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"बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ"

"बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ"

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बेटी है मायड़ बाबुल रे,

काळजिए री कोर,

पिरो देवे मनड़ै रा मोती,

ऐसी है या डोर।


1...भोळो सो मुखड़ो,

उळझी अलकां,

तितली री पांख्यां सी पलकां,

मूँदयाँ होज्या रातलड़ी,

खुल जायां होज्या भोर...

पिरो देवे मनड़ै रा मोती,

ऐसी है या डोर....


2...घर में माँ रो हाथ बंटावे,

पढ़ने स्यूं भी मन न चुरावे,

चुप चुप फ़र्ज़ निभावे,

करे न कोई शोर...

पिरो देवे मनड़ै रा मोती,

ऐसी है या डोर।


3...पढ़ गुण कुल री शान बढ़ावे,

ना गरवीजे, ना इतरावे,

इक दिन उड़ जा सासरिये

ज्यूँ ईसर लारे गौर...

पिरो देवे मनड़ै रा मोती,

ऐसी है या डोर।


4...सासरिये ने भळ अपनावे,

माँ बाबुल भी कद बिसरावे,

जद जद पीवर याद आवे,

हिवड़े में उमड़े लोर...

पिरो देवे मनड़ै रा मोती,

ऐसी है या डोर....


5...सब समझो सबने समझाओ,

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ,

बात कहूँ हूँ साँची,

थे सुणल्यो करगे गौर...

पिरो देवे मनड़ै रा मोती,

ऐसी है या डोर...

बेटी है मायड़ बाबुल रे,

काळजिये री कोर,

पिरो देवे मनड़ै रा मोती,

ऐसी है या डोर....


  गीत की लय... सावन का महीना पवन करे सोर

फ़िल्म... मिलन


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